अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस – विचार कणिका

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मनु स्मृति की महत्वपूर्ण विचार कणिकाएं
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।५६।।
जहां नारी जाति का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज, तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं । जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहां देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किये गये कार्य सफल नहीं होते हैं ।

शोचन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तत्कुलम् ।
न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा ।।५७।।
जिस कुल में पारिवारिक स्त्रियां दुर्व्यवहार के कारण शोक-संतप्त रहती हैं उस कुल का शीघ्र ही विनाश हो जाता है, उसकी अवनति होने लगती है । इसके विपरीत जहां ऐसा नहीं होता है और स्त्रियां प्रसन्नचित्त रहती हैं, वह कुल प्रगति करता है । (परिवार की पुत्रियों, बधुओं, नवविवाहिताओं आदि जैसे निकट संबंधिनियों को ‘जामि’ कहा गया है ।)
जामयो यानि गेहानि शपन्त्यप्रतिपूजिताः ।
तानि कृत्याहतानीव विनश्यन्ति समन्ततः ।।५८।।
जिन घरों में पारिवारिक स्त्रियां निरादर-तिरस्कार के कारण असंतुष्ट रहते हुए शाप देती हैं, यानी परिवार की अवनति के भाव उनके मन में उपजते हैं, वे घर कृत्याओं के द्वारा सभी प्रकार से बरबाद किये गये-से हो जाते हैं । (कृत्या उस अदृश्य शक्ति की द्योतक है जो जादू-टोने जैसी क्रियाओं के किये जाने पर लक्षित व्यक्ति या परिवार को हानि पहुंचाती है ।)

तस्मादेताः सदा पूज्या भूषणाच्छादनाशनैः ।
भूतिकामैर्नरैर्नित्यं सत्कारेषूत्सवेषु च ।।५९।।
अतः ऐश्वर्य एवं उन्नति चाहने वाले व्यक्तियों को चाहिए कि वे पारिवारिक संस्कार-कार्यों एवं विभिन्न उत्सवों के अवसरों पर पारिवार की स्त्रियों को आभूषण, वस्त्र तथा सुस्वादु भोजन आदि प्रदान करके आदर-सम्मान व्यक्त करें ।
सन्तुष्टो भार्यया भर्ता भर्त्रा भार्या तथैव च ।
यस्मिन्नेव कुले नित्यं कल्याणं तत्र वै ध्रुवम् ।।६०।।
जिस कुल में प्रतिदिन ही पत्नी द्वारा पति संतुष्ट रखा जाता है और उसी प्रकार पति भी पत्नी को संतुष्ट रखता है, उस कुल का भला सुनिश्चित है । ऐसे परिवार की प्रगति अवश्यंभावी है ।
मनु स्मृति, अध्याय ३
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं