मनोमय कोश – शिवसंकल्प उपनिषद – 07/04/2019

चैत्र नवरात्र काल के समय मनोमय कोश की आरंभिक कक्षाएं
🌞 07/04/2019_प्रज्ञाकुंज सासाराम_ नवरात्रि साधना_ शिवसंकल्प उपनिषद् _ पंचकोशी साधना प्रशिक्षक बाबूजी श्री लाल बिहारी सिंह एवं आल ग्लोबल पार्टिसिपेंट्स। 🙏
🌞 ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो नः प्रचोदयात् 🌞
🌞 बाबूजी:-
🌻 आस्था संकट को प्रज्ञा दूर करेगा। प्रेरणा को धारण (ग्रहण) करें। आदर्शों के समुच्चय को परमात्मा कहते हैं। आदर्शो के प्रति प्रेम, उन्हें धारण करें, उन्हे डाइजेस्ट करे।
🌻 समत्व @ बैलेंस ही योग। ईड़ा और पिंगला के बीच समत्व । सुख मे भी आनंद तो दुख मे भी आनंद अर्थात् अखंडानंद। इस स्तर पर साधक निर्भय होते हैं, निरालंब। शिव निरालंब हैं, चिदाकाश
🌻 ऋतंभरा प्रज्ञा ही पारस है, अमृत है।
🌻 देवता मतलब सब्जेक्ट। हमे उसे समझना है जानना है।
🌻 शिव अमरता के देवता हैं। और अमरता का विज्ञान गायत्री महाविज्ञान है।
🌻 चेतना का केंद्र मन है। लोभ @ पदार्थों के प्रति आसक्ति, मोह @ संबंधों के प्रति आसक्ति, अहंकार @ मान्यताओं के प्रति आसक्ति। आसक्ति @ चिपकाव सभी समस्या की जड़े हैं।
🌻 ॐ येन कर्माण्यपशो मनिषिणो यज्ञे कृणवन्ति विदथेषु धीराः।
यदपूर्वं यक्षमन्तः प्रजाणां तन्मे मनः शिव शंकल्पमस्तु।।
🌻 भृकुटी मध्य (भृकुटि के सीध में ,मस्तिष्क मध्य त्रिकुटी में) सूर्य शुभ ज्योति के पूंज अनादि अनुपम का हम ध्यान करे।

🌻 अंतरंग परिष्कृत एवं बहिरंग सुव्यवस्थित ही योग है।
🌻 मन प्रत्यक्ष देवता आओ मिलकर संवारें। नियंत्रण मन गहण मित्र तो अनियंत्रित मन प्रबल शत्रु। मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन भजन।
🌻 मन के हारे हार, मन के जीते जीत।
🌻 त्रिगुणातीत मतलब यह नही की गुणों को छोड़ दें बल्कि चिपकाव @ आसक्ति को छोड़ें।
🌻 रक्षा करने वाली शक्ति यक्ष @ बार्डीगार्ड। पांचो कोश के प्राण @ शक्ति यक्ष हैं।
🌞 ॐ शांति शांति शांति 🙏
🐒 जय युगऋषि श्रीराम। 🙏
संकलक – श्री विष्णु आनन्द जी