November 29, 2023

मनोमय कोश – 02 – शिवसंकल्प उपनिषद – चैत्र नवरात्र में आयोजित कक्षा ? 08/04/2019_प्रज्ञाकुंज सासाराम_ नवरात्रि साधना_ शिवसंकल्पोपनिषद् पंचकोशी साधना प्रशिक्षक बाबूजी “श्री लाल बिहारी सिंह” एवं आल ग्लोबल पार्टिसिपेंट्स। ?

? ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो नः प्रचोदयात् ?

? ॐ यत्प्रत्ज्ञानमुत् चेतो धृतिश्च यज्ज्योतिरन्तरमृतं प्रजासु।
यसमान्न ऋते किन्चन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु।।

अर्थ: जो नित नये अनुभव कराता है, जो पिछले जाने हुए का अनुभव कराता है, जो संकट मे धैर्य धारण कराता है, जो समस्त प्रजाजनो के अंतःकरण मे एक अमर ज्योति है, जिसके बिना कोई कर्म नही किया जा सकता, ऐसा मेरा मन शुभ संकल्पों वाला हो।

? बाबूजी:-

? मन कितना शक्तिशाली है? मन को कैसे परिष्कृत करें?

? ईश्वर सर्वव्यापक, प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुख स्वरूप। अगर भेद दृष्टि है, हम दुखी हैं इसका अर्थ हम ब्राह्मी चेतना से नही जुड़े हैं।

? एकोऽहम् बहुस्याम। प्राण तत्व ही अर्द्ध नारीश्वर हैं। ज्ञानात्मक ऊर्जा।  शिव और शक्ति। शिव @ विवेक @ ऋतंभरा प्रज्ञा।

? पृथ्वी की आत्मा जल, जल की आत्मा अग्नि, अग्नि की आत्मा आकाश, आकाश की आत्मा मन, मन की आत्मा प्राण, प्राण की आत्मा, आत्मा की आत्मा परमात्मा (तैतरीयोपनिषद्)। ईश्वर की कोई परिभाषा नही दी जा सकती, कोई वर्णन नही किया जा सकता।

? मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार चतुष्टय @ अंतःकरण। अंतःकरण परिष्कृत।

? साधना से रिद्धि सिद्धि धुल कण के तरह चिपकती है इसको झाड़ते चलना है। इससे चिपकना नही है। लक्ष्य की ओर अग्रसर होते रहना है।

? जब तक विकार मे ब्रह्म देखने की स्थिति नही आयेगी तब तक आनंदमय स्थिति नही आयेगी।
(? दृष्टि मे तेरी दोष है दुनिया निहारती रे प्राणी, ममता का अंजन आंज लो बस हो गया भजन भजन।)

? चरैवेति चरैवेति। गतिशील। अनंत की यात्रा है। गुरूदेव नित्य 18 घंटे तक कार्य करते थे। यह क्रम वृद्धावस्था मे भी जारी रहा। हमे भी अपने साधना के क्रम मे आत्म समीक्षा करती रहनी है। जड़ता @ प्रमाद नही होनी चाहिए। अन्नमयकोश एवं प्राणमयकोश उर्वरता बनायेगी तो मनोमयकोश डाइजेस्ट करेगा।

उर्वरता आवश्यक है अतः इसकी भी साधना निरंतर चलती रहे और उपर के कोश गहराई मे उतारने का कार्य करती रहेगा। सफाई चलती रहेगा और चमक निरंतर बढ़ती जायेगी। क्रिया के साथ मनोयोग को जोड़ा जाये। प्रज्ञा बांटे। आत्मीयता बांटे। इनकी खेती करें।

? संयम का अर्थ दबाना नही है बल्कि दिशा देना है, सदुपयोग करना है।

? दुर्गा का अर्थ है जो दुर्गति को दूर करे।

? सारे साधना को निचोड़ दे, यह जानने के लिए मैं क्या हूं।

? जो लेता कम है और देता ज्यादा हो वह देवता क्यों नही कहलाये।

? ॐ शांति शांति शांति ?
? जय युगऋषि श्रीराम। ?

संकलक – श्री विष्णु आनन्द जी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!