November 29, 2023

? 14/04/2019_प्रज्ञाकुंज सासाराम_ नवरात्रि साधना_ भगवान श्रीराम ❤️ का दर्शन ज्ञान – विज्ञान _ पंचकोशी साधना प्रशिक्षक बाबूजी “श्री लाल बिहारी सिंह” एवं आल ग्लोबल पार्टिसिपेंट्स। ?
? ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो नः प्रचोदयात् ?

? बाबूजी:-

? चैत्र नवरात्रि की पूर्णाहुति पर रामनवमी और आश्विन नवरात्रि की पूर्णाहुति पर दुर्गा जयंती।

? वर्तमान समय के महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र – वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ, महाप्राज्ञ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य।
(? जय युगऋषि श्रीराम ❤️?)

? जो इन्डियन फिलासफी के दर्शन को जानना चाहते हैं वह योगवशिष्ठ का अध्ययन अवश्य करें।

? समस्याएं अनेक समाधान एक – अध्यात्म। अध्यात्म की गंगोत्री उपनिषद्। आज संपूर्ण विश्व समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर देख रहा है। युगनिर्माण @ देव संस्कृति का अवतरण @ प्रज्ञा अभियान के लिए हमारे गुरूदेव प्रज्ञावतार के रूप मे आये हैं।

? दूरदर्शिता की कमी @ भुलक्कड़ी @ आत्म विस्मृति @ मैं आत्मा नही शरीर हूं – यही मान्यताओं का रूप ले लेती हैं, अहंकार का रूप ले लेती है तभी आत्म चेतना का समष्टि चेतना से संपर्क टूट जाता है। साधना के आधार पर मान्यताएं बदलती जाती हैं अर्थात् मूल्यांकन बदलता जाता है। ज्ञान के दृष्टि से देखे तो संसार है ही नही और अज्ञान की दृष्टि से देखे तो खंड खंड है भेद दृष्टि बन जाती है।

? गुरूकूल मे राजा के बच्चे हों या प्रजा के बच्चे हों सभी विद्यार्थी सुखो का त्याग कर समान रूप से तितिक्षा के साथ ज्ञानार्जन करते थे। अन्नमयकोश की साधना साथ ही साथ चलती रहती थी।

? विश्वामित्र ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को जो बला और अतिबला नाम की महाविद्या दी थी वो गायत्री महाविद्या है। जो महा अवतरण होता है उनके सातो चक्र जगे होते हैं। हमारे गुरूदेव भी उनमे से एक जो प्रज्ञावतार की भूमिका मे आये।

? युक्त आहार विहारस्य। साधना से शक्ति संवर्द्धन होता है। साधना बैलेंस माइंड से की जाती है। अति नही करना है (अति हर्यत वर्ज्यते)। उपवास से टाॅक्सिन्स को निकालना होता है ना की शक्ति को और इतना भी ना खा लें की सेहत बिगड़ जाये।

? हमे मनोमयकोश की साधना मे हर हर स्वाध्याय करनी है। खूब पढ़ना है और अपने आप को जांचना है परखना है की हम कहां पर हैं। यहां फोकट पर कुछ नही मिलता है।

ऋषि अनुशासन मे निष्ठा के साथ साधना की जाये तो सफलता सुनिश्चित है। मन को नियंत्रण करने वाले दो टूल्स हैं अभ्यास और वैराग्य। अभ्यास – जप, ध्यान, त्राटक और तन्मात्रा साधना। वैराग्य – ज्ञानार्जन और प्रैक्टिकल

? इष्ट का ध्यान करने का अर्थ है उन गुणों को धारण करना है, यह मूल्यांकन करते रहना है। हनुमान जी का ध्यान कर रहे हैं, शिव जी का ध्यान कर रहे हैं, कबीर दास जी का ध्यान कर रहे हैं – मूल्यांकन कीजिए की उनके गुणों को धारण किया जा रहा है की नही।

? यदि भगवान श्री राम हमारे आदर्श हैं तो तो उन्होंने जैसे योगत्व को प्राप्त किया वैसे हम भी करें। विचारणा @ शुभेच्छा।

? वेद एवं कमंडल। ज्ञानार्जन और प्रैक्टिकल (शोधक्रम) दोनो साथ ही साथ चलते रहे। दोनो एक दूसरे के बिना अधूरे।

? वर्तमान मे युगांतकारी चेतना का प्रबल प्रवाह चल रहा है इसमे त्वरित लाभ मिलेगा। संधिकाल है। एक महीने मे एक वर्ष की साधना का लाभ मिलेगा।

? विश्वामित्र के पास श्रीराम दशरथ नंदन बन कर गये और भगवान श्रीराम को बन कर लौटे। ऋषि ही प्राण हैं।

? ॐ शांति शांति शांति ?
? जय युगऋषि श्रीराम। ?

संकलक – श्री विष्णु आनन्द जी

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