? 28/04/2019_प्रज्ञाकुंज सासाराम_ पतंजलि योग दर्शन मनोमयकोश के संदर्भ में  _ आ0 योगा ट्रेनर लोकेश भैया एवं आल ग्लोबल पार्टिसिपेंट्स। ?

? ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो नः प्रचोदयात् ?

? वीडियो अवश्य रेफर करें। ?

? आदरणीय योगा ट्रेनर सुनील चौधरी भैया राजस्थान से प्रज्ञा योग व्यायाम, प्राणाकर्षण प्राणायाम, प्रभावी-महाप्रभावी आसनों, सूर्यभेदी प्राणायाम एवं शीर्षासन का परफेक्ट डेमोन्सट्रेशन दिया।

? प्राणाकर्षण प्राणायाम से हम प्राण शक्ति का संवर्धन करते हैं। इसमे ध्यान की प्रक्रिया अहम है। सांसो का क्रम सहज रहे।

? आदरणीय योगा ट्रेनर लोकेश भैया:-

? सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही योग दर्शन की उत्पत्ति हुयी वैसे ही मनुष्य के साथ योग साधना जुड़ी हुई है।

? पतंजलि योग दर्शन मे खंडन मंडन नही है।

? सांख्य दर्शन कहता है मन पांच तन्मात्राओं का समुच्चय है।

? प्राणायाम करने से मन की स्थिति धारणा करने की लायक हो जाती है।

? समाधि पाद, साधन पाद, विभूति पाद  एवं कैवल्य पाद।

? अगर आप अच्छा प्राणायाम करते हैं तो मन को शांत रखना मुश्किल नही है। इसलिए जो मनोमयकोश की साधना मे सफलता चाहते हैं तो प्राणमयकोश की साधना अच्छे से करे।

? मैत्री, मुदित, करूणा एवं उपेक्षा ये चार साधन हैं मन को शांत, खुश एवं सहयोगी रखने के।

? साधना को सफल बनाने वाले साधन हैं अभ्यास एवं वैराग्य। अपने अभ्यास को छोड़कर बाकी चीजों से वैराग्य।

? मन को कनविंस करे तो वो आपकी बात मान जाता है। नियंत्रित मन बेस्ट फ्रेंड है और अनियंत्रित मन सबसे बड़ा शत्रु।

? इन अभ्यास के अलावा भी कोई अभ्यास जिससे मन शांत, संतुलित एवं सहयोगी रहे तो उसका अभ्यास जरूर करें।

? वैराग्य का मतलब चीजों को छोड़ देना नही है वरन् किसी भी चीज को विवेकशीलता से युज करना और छोड़ने का क्रम है।

? प्रज्ञा बुद्धि यह है की प्रैक्टिकल मे आपका कितना समत्व है। आप कितना बैलेंस माइंड से निर्णय लेते हैं।

? स्वाध्याय जरूर करें। सुविधा का ख्याल अपने हिसाब से रखा जा सकता है।

? ईश्वरीय अनुशासन का पालन करने से हम समस्या से बचते हैं।

? प्रत्याहार को हम इन्द्रिय नियंत्रण के रूप मे ले सकते हैं।

? धारणा का अर्थ सुदृढ मान्यता।

? आप सिद्धि के चक्कर मे ना फंसे। सिद्धि साधना क्षेत्र मे बाधक का कार्य करती हैं।

? पहले ब्रह्म देखो फिर बाद मे विकार मे ब्रह्म देखो। हम अपने दोषों को ब्रह्म का नाम देकर जस्टीफाई नही कर सकते। पहला स्टेप दोषों को छोड़ने का है उन्हे रिफाइन करने का है।

? ॐ शांति शांति शांति ?
? जय युगऋषि श्रीराम। ?

संकलन – श्री विष्णु आनन्द जी

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