अथर्ववेद – Atharvaveda – 2:16 – सुरक्षा सूक्त
अथर्ववेद संहिता
द्वितीय काण्ड
[१६- सुरक्षा सूक्त]
[ ऋषि – ब्रह्मा। देवता – प्राण, अपान, आयु। छन्द -१,३ एकपदासुरी त्रिष्टुप, २ एकपदासुरी उष्णिक, ४-५ द्विपदासुरी गायत्री।]
२४१. प्राणापानौ मृत्योर्मा पातं स्वाहा॥१॥
हे प्राण और अपान! आप दोनों मृत्यु से हमारी सुरक्षा करें और हमारी आहुति स्वीकार करें॥१॥
२४२. द्यावापृथिवी उपश्रुत्या मा पातं स्वाहा॥२॥
हे द्यावा-पृथिवि ! आप दोनों सुनने की शक्ति प्रदान करके हमारी सुरक्षा करें तथा आहुति ग्रहण करें॥२॥
२४३. सूर्य चक्षुषा मा पाहि स्वाहा॥३॥
हे सूर्यदेव ! आप हमें देखने की शक्ति प्रदान करके हमारी सुरक्षा करें और हमारी आहुति ग्रहण करें॥३॥
२४४. अग्ने वैश्वानर विश्वैर्मा देवैः पाहि स्वाहा॥४॥
हे वैश्वानर अग्निदेव ! आप समस्त देवताओं के साथ हमारी सुरक्षा करें और हमारी आहुति ग्रहण करें ॥४॥
२४५. विश्वम्भर विश्वेन मा भरसा पाहि स्वाहा॥५॥
हे समस्त प्राणियों का पोषण करने वाले विश्वम्भरदेव! आप अपनी समस्त पोषण-शक्ति से हमारी सुरक्षा करें तथा हमारी आहुति ग्रहण करें॥५॥
– भाष्यकार वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं० श्रीराम शर्मा आचार्य