अथर्ववेद – Atharvaveda – 2:36 – पतिवेदन सूक्त
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३५३. आ नो अग्ने सुमतिं संभलो गमेदिमा कुमारी सह नो भगेन।जुष्टा वरेषु समनेषु वल्गुरोषं पत्या सौभगमस्त्वस्यै॥१॥...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३५३. आ नो अग्ने सुमतिं संभलो गमेदिमा कुमारी सह नो भगेन।जुष्टा वरेषु समनेषु वल्गुरोषं पत्या सौभगमस्त्वस्यै॥१॥...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३४८. ये भक्षयन्तो न वसून्यानृधुर्यानग्नयो अन्वतप्यन्त धिष्ण्याः।या तेषामवया दुरिष्टिः स्विष्टिं नस्तां कृणवद् विश्वकर्मा॥१॥ यज्ञ कार्य में...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३४३. य ईशे पशुपति: पशूनां चतुष्पदामुत यो द्विपदाम्।निष्क्रीतः स यज्ञियं भागमेतु रायस्पोषा यजमानं सचन्ताम्॥१॥ जो पशुपति...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३३६. अक्षीभ्यां ते नासिकाभ्यां कर्णाभ्यां छुबुकादधि।यक्ष्मं शीर्षण्यं मस्तिष्काज्जिह्वाया वि वृहामि ते॥१॥ हे रोगिन् ! आपके दोनों...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३३०.उद्यान्नादित्यः क्रिमीन् हन्तु निम्रोचन् हन्तु रश्मिभिः। ये अन्त: क्रिमयो गवि॥१॥ उदित होते हुए तथा अस्त होते...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३२५. इन्द्रस्य या मही दृषत् क्रिमेर्विश्वस्य तर्हणी।तया पिनष्मि सं क्रिमीन् दृषदा खल्वाँ इव॥१॥ इन्द्रदेव की जो...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३२०. यथेदं भूम्या अधि तृणं वातो मथायति।एवा मध्नामि ते मनो यथा मां कामिन्यसो यथा मन्नापगा असः॥१॥...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३१३. पार्थिवस्य रसे देवा भगस्य तन्वो३ बले।आयुष्यमस्मा अग्निः सूर्यो वर्च आ धाद् बृहस्पतिः॥१॥ पार्थिव रस (पृथ्वी...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ *?३०८. तुभ्यमेव जरिमन् वर्धतामयं मेममन्ये मृत्यवो हिंसिषुः शतं ये।**मातेव पुत्रं प्रमना उपस्थे मित्र एनं मित्रियात् पात्वंहसः॥१॥...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ इस सूक्त में ओषधि को लक्ष्य किया गया है। चौथे मंत्र में उसे पाटा(पाठा) सम्बोधन भी...