अथर्ववेद – Atharvaveda – 3:31 – यक्ष्मनाशन सूक्त
अथर्ववेद संहिताअथ तृतीय काण्डम् ५८०. वि देवा जरसावृतन् वि त्वमग्ने अरात्या।व्य१हं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण समायुषा॥१॥ देवगण वृद्धावस्था से अप्रभावित...
अथर्ववेद संहिताअथ तृतीय काण्डम् ५८०. वि देवा जरसावृतन् वि त्वमग्ने अरात्या।व्य१हं सर्वेण पाप्मना वि यक्ष्मेण समायुषा॥१॥ देवगण वृद्धावस्था से अप्रभावित...
अथर्ववेद संहिता।।अथ तृतीय काण्डम्।। इस सूक्त में क्षेत्रिय रोगों के उपचार का वर्णन है । क्षेत्रिय रोगों का अर्थ सामान्य...
अथर्ववेद-संहिता॥अथ प्रथमं काण्डम्॥ १२- यक्ष्मनाशन सूक्त ५५. जरायुजः प्रथम उस्त्रियो वृषा वातभ्रजा स्तनयन्नेति वृष्ट्या।स नो मृडाति तन्व ऋजुगो रुजन् य...