अथर्ववेद – Atharvaveda – 2:35 – विश्वकर्मा सूक्त
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३४८. ये भक्षयन्तो न वसून्यानृधुर्यानग्नयो अन्वतप्यन्त धिष्ण्याः।या तेषामवया दुरिष्टिः स्विष्टिं नस्तां कृणवद् विश्वकर्मा॥१॥ यज्ञ कार्य में...
अथर्ववेद संहिता॥अथ द्वितीय काण्डम्॥ ३४८. ये भक्षयन्तो न वसून्यानृधुर्यानग्नयो अन्वतप्यन्त धिष्ण्याः।या तेषामवया दुरिष्टिः स्विष्टिं नस्तां कृणवद् विश्वकर्मा॥१॥ यज्ञ कार्य में...